आर.टी.ई के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत तक गरीब, जरूरतमंद, अनसुचित जाति, जनजाति वर्ग के बच्चों को देना होगा प्रवेश
1 min read
स्कूलों में किसी भी तरह से बच्चों में भेदभाव न हो यह सुनिश्चित करें-कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह
ड्रॉप आउट रोकने के लिए नोडल प्राचार्य करें जिम्मेदारी से कार्य-सीईओ डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी
कोरिया 24 मई, 2024 । आज जिला पंचायत के मंथन कक्ष में जिला कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह की अध्यक्षता में शिक्षा का अधिकार (आर.टी.ई.) के तहत निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के संबंध में जिला स्तरीय नोडल प्राचार्य आरटीई एवं प्रधानपाठक, प्रबंधक अशासकीय विद्यालय की समीक्षा बैठक की गई।
किसी भी तरह से बच्चों के साथ भेदभाव न हो
कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह ने बैठक में उपस्थित नोडल प्राचार्यों, निजी स्कूलों के संचालकों, प्रबंधकों तथा प्राचार्याे से शिक्षा का अधिकार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि आर.टी.ई. 12 (1) (सी) के अंतर्गत सभी गैर अनुदान प्राप्त और गैर अल्पसंख्यक निजी स्कूलों के प्रारंभिक कक्षाओं में 25 प्रतिशत सीटें दुर्बल और असुविधाग्रस्त परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित होते हैं। अधिनियम के तहत तीन वर्ष से साढ़े छह वर्ष तक के बच्चेे किसी भी निजी स्कूल के प्रारंभिक कक्षा में प्रवेश ले सकते हैं। इस योजना का लाभ जरूरतमंद और पात्र विद्यार्थियों को कक्षा नर्सरी से कक्षा बारहवीं तक निःशुल्क शिक्षा दिए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में सभी वर्ग के लोगों के मध्य सामाजिक समावेशन अर्थात सामाजिक समानता लाना, सभी समूहों को मूल्यवान और महत्वपूर्ण महसूस कराना है ताकि विभिन्न प्रकार से किए जाने वाले भेदभाव को हटाया जा सके।
ड्रॉप आउट होने के मुख्य कारण पता करें, स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करें
कलेक्टर श्री लंगेह ने निजी स्कूलों के संचालकों, प्रबंधकों, प्राचार्यों तथा नोडल प्राचार्यों से कहा कि एक सप्ताह के भीतर ड्राप आउट के बारे में समुचित जानकारी उपलब्ध कराएं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी तरह से बच्चों के साथ भेदभाव नहीं की जाए। श्री लंगेह ने जिले के सभी निजी स्कूलों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए नोडल प्राचार्यों से कहा कि जो बच्चे ड्राप आउट हुए हैं, उसका कारण क्या है? वे विद्यार्थी क्या कर रहे हैं? वे कहां पढ़ाई कर रहे हैं? बीच में स्कूल छोड़ने का क्या कारण है? बच्चे किस वजह से स्कूल छोड़े हैं, इस संबंध में उनके माता-पिता या अभिभावक से जानकारी प्राप्त करें, वहीं उसका समुचित निराकरण करते हुए विद्यार्थियों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।
आर.टी.ई. के प्रावधानों को गंभीरता से अध्ययन करें व बेहतर क्रियान्वयन करें
श्री लंगेह ने कहा कि हम सबकी जिम्मेदारी है कि हर बच्चों को शिक्षा का अधिकार के तहत शिक्षा मिले, स्कूलों में पढ़ाई करने जाए। बैठक में उपस्थित सभी प्रबंधकों व प्राचार्यों से कहा कि स्वप्रेरित होकर कार्य करना सुनिश्चित करने के साथ ही ड्राप आउट रोकने के लिए विशेष पहल करंे। उन्होंने सभी नोडल प्राचार्यों को निर्देश दिए कि आगामी बैठक में विगत पांच वर्षों की ड्राप आउट के बारे में समुचित जानकारी प्रदान करें तथा संबंधित वेबसाइट में समुचित जानकारी अपलोड करें। उन्होंने बैठक में उपस्थित संचालकों तथा प्राचार्यों से कहा कि स्कूल में प्रवेश लेने के बाद ड्रॉप आउट न हो इस बात की विशेष ध्यान रखें। श्री लंगेह ने कहा कि आर.टी.ई. के प्रावधानों को गंभीरता से अध्ययन करें साथ ही सभी निजी स्कूल आर.टी.ई. के प्रावधानों को बेहतर क्रियान्वयन करें।
बच्चे शिक्षा से वंचित न हो, तभी शिक्षा का अधिकार अधिनियम होगा फलीभूत
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने निजी स्कूलों के संचालकों, प्राचार्यों तथा आर.टी.ई. के तहत बनाए गए नोडल प्राचार्यों से कहा कि शिक्षा का अधिकार (आर.टी.ई.) के प्रावधानों के बारे में समुचित जानकारी होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आरटीई के प्रावधान, उद्देश्य को जमीनी स्तर पर खरा उतरने के लिए समन्वित प्रयास की जरूरत है। कोई बच्चे शिक्षा से वंचित न हो, तभी शिक्षा का अधिकार अधिनियम फलीभूत होगा। उन्होंने कहा कि नोडल प्राचार्यों की विशेष जिम्मेदारी है कि किसी भी तरह से आर.टी.ई के प्रावधानों का उल्लंघन न हो या सुनिश्चित करें, उल्लंघन करने पर कड़ी कार्यवाही भी की जाएगी।
इस वर्ष 93 स्कूलों में 575 सीटें आरक्षित
जिले में वर्ष 2019-20 में निजी स्कूलों की संख्या 93 थीं, जिसमें 955 सीट आरक्षित थे और 472 विद्यार्थी प्रवेश लिए थे। वर्ष 2020-21 में निजी स्कूलों की संख्या 95 थीं, जिसमें 734 सीटें आरक्षित थे और 632 विद्यार्थी प्रवेश लिए थे। वर्ष 2021-22 में निजी स्कूलों की संख्या 95 थीं, जिसमें 727 सीटें आरक्षित थे और 617 विद्यार्थी प्रवेश लिए थे। वर्ष 2022-23 में निजी स्कूलों की संख्या 94 थीं, जिसमें 670 सीटें आरक्षित थे और 591 विद्यार्थी प्रवेश लिए थे। वर्ष 2023-24 में निजी स्कूलों की संख्या 96 थीं, जिसमें 587 सीटें आरक्षित थे और 528 विद्यार्थी प्रवेश लिए थे, वहीं शिक्षा सत्र 2024-25 में स्कूलों की संख्या 93 हैं और 575 सीटें आरक्षित हैं। जानकारी के मुताबिक अभी तक 1 हजार 406 आवेदन प्राप्त हुए हैं। नर्सरी के लिए 174, के.जी. के लिए 335 तथा कक्षा पहली के लिए 66 सीटें है।
इन बच्चों को मिलेगी प्राथमिकता
ऐसे बच्चे जिनके संरक्षक गरीबी रेखा की सूची में शामिल हो, एचआईव्ही संक्रमित हो, अंत्योदय कार्ड हो या अनुसूचित जाति, जनजाति, परिलक्षित आदिम जनजाति समूह के हो, अनुसूचित जनजातियों और परम्परागत वनवासी के अंतर्गत वन अधिकारों के मान्यतापत्र धारी हो, ऐसे बच्चे जो 40 प्रतिशत दिव्यांग हो, वे वेबसाइट के माध्यम से ऑन लाइन आवेदन कर सकते हैं।
जिले में आरटीई व ड्राप आउट से संबंधित समीक्षा बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी श्री जितेन्द्र गुप्ता सहित शासकीय, गैर शासकीय मान्यता प्राप्त स्कूलों के संचालक, प्रबंधक, प्राचार्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।