December 23, 2024

MetroLink24

www.metrolink24.com

विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त पर विशेष

1 min read

आदिवासी अंचलों में पहुंच रही हैं तेजी से विकास योजनाएं

• छगनलाल लोन्हारे/जी.एस. केशरवानी (उप संचालक)

रायपुर, 07 अगस्त 2024/ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनजातीय समुदाय की आबादी को देखते हुए राज्य की बागडोर श्री विष्णु देव साय के हाथों में सौंपी है। राज्य गठन के 23 वर्षों बाद वे ऐसे पहले आदिवासी नेता है जिन्हें राज्य के मुखिया के तौर पर कमान सौंपी गई है। राज्य में नई सरकार की गठन के साथ ही उन्होंने किसानों, महिलाओं और वंचित समूहों को आगे बढ़ाने के लिए योजनाओं की शुरूआत की। वे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के ध्येय वाक्य को लेकर सभी वर्गों की उन्नति और बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति की देश-विदेश में अलग पहचान रही है। राज्य के आदिवासी अंचल एक ओर वनों से आच्छादित है। वहीं इन क्षेत्रों में बहुमूल्य खनिज सम्पदा भी है। मनोरम पहाड़ियां, झरनें, इठलाती नदियां बरबस लोगों को आकर्षित करती हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में गठित नई सरकार बनने के बाद राज्य के आदिवासी अंचलों में जन जीवन में तेजी से बदलाव लाने और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए अनेक नवाचारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।

आदिवासी समुदाय को सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संचालित की जा रही महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री जनमन योजना में आदिवासी बहुल क्षेत्रों में सड़क, बिजली, आवास, पेयजल जैसी महत्वपूर्ण मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं। साथ ही केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है।

आदिवासी क्षेत्रों के तेजी से विकास सुनिश्चित करने के लिए केन्द्र सरकार की पहल पर जगदलपुर के नगरनार में लगभग 23 हजार 800 करोड़ रूपए की लागत से वृहद स्टील प्लांट लगाया गया हैं, इससे आने वाले वर्षों में बस्तर अंचल की पूरी तस्वीर बदलेगी। लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा साथ ही रोजगार के नए अवसरों का निर्माण होगा।

इस साल के केन्द्रीय बजट में जनजाति उन्नत ग्राम अभियान योजना शामिल की गई है। इस योजना से राज्य के लगभग 85 विकासखंडों में शामिल गांवों को विभिन्न मूलभूत सुविधाएं मिलेगी। इसके अलावा जैविक खेती को बढ़ावा देने जैसी प्राथमिकताएं भी जनजाति क्षेत्रों की दशा और दिशा बदलेंगी।

जनजाति क्षेत्रों के तेजी से विकास सुनिश्चित करने के लिए भारत माला प्रोजेक्ट के अंतर्गत रायपुर-विशाखापत्तनम एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है 464 किलोमीटर लंबा और छह लेन चौड़ा एक्सप्रेसवे होगा। यह छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश से होकर गुजरेगा। यह एक्सप्रेसवे मार्ग छत्तीसगढ़ में 124 किलोमीटर, ओडिशा में 240 किलोमीटर और आंध्र प्रदेश में 100 किलोमीटर बनेगी। उड़ीसा से आंध्रप्रदेश के विशाखापटनम तक बनाए जा रहे इस नए कॉरिडोर से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। वहीं नए उद्योगों की स्थापना से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

बस्तर के माओवादी आतंक से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक तरफ सुरक्षा कैंपों की सख्या बढ़ायी जा रही है। वहीं सुरक्षा कैंपों के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में केन्द्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए नियद् नेल्लानार जैसी नवाचारी योजनाओं की शुरूआत की गई है। इस योजना के बेहतर और सार्थक परिणाम मिल रहे हैं। लोगों का विश्वास फिर से शासन-प्रशासन के प्रति लौटने लगा है।

आदिवासियों की आय में वृद्धि और उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। प्रदेश सरकार ने लगातार ऐसे कदम उठाए हैं, जिनसे वनों के साथ आदिवासियों का रिश्ता फिर से मजबूत हुआ है। वनांचल क्षेत्रों में लघु वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ-साथ तेन्दूपत्ता का खरीदी कार्य भी पहले से अधिक व्यवस्थित रूप से किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा 36 कॉलेजों के भवन-छात्रावास निर्माण के लिए 131 करोड़ 52 लाख रूपए मंजूर किए गए है। इससे प्रदेश के 36 कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ होंगे तथा शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। वहीं युवाओं को उच्च स्तर की शैक्षणिक सुविधाएं प्राप्त होगी और वे बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकेंगे।

राज्य सरकार ने तेन्दूपत्ता पारिश्रमिक दर प्रतिमानक बोरा 4000 से बढ़ाकर 5500 रूपए कर दिया है। इससे लगभग 13 लाख जनजाति परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। इन क्षेत्रों में लघु वनोपज संग्रहण भी महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हो रहा है। लघु वनोपज के प्रसंस्करण के लिए वनधन केन्द्रों की स्थापना की गई है।

प्रदेश में जनजातिय समुदाय के बच्चों के लिए बेेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए 75 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा माओवादी प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए 15 प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित है। इन विद्यालयों में मेधावी विद्यार्थियों को अखिल भारतीय मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराई जा रही हैं। नई दिल्ली में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी के लिए संचालित यूथ हॉस्टल में सीटों की संख्या 50 से बढ़ाकर 185 कर दी गई है।

राज्य में बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरणों के कामकाज को व्यवस्थित और प्रभावित बनाने के लिए इनका पुनर्गठन किए जाने का निर्णय लिया गया है। इन प्राधिकरणों की कमान अब मुख्यमंत्री के हाथों में होगी। क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे तथा मुख्यमंत्री के सचिव अथवा सचिव इन प्राधिकरणों के सदस्य सचिव होंगे।

आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए बस्तर अंचल के देवगुड़ियां और घोटुलों तथा अन्य ऐतिहासिक धरोहरों के आसपास एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत वृक्षारोपण किया जा रहा है। इससे लोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, साथ ही ऐसे स्थानों में प्राकृतिक सुन्दरता भी बढ़ेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.