September 28, 2024

MetroLink24

www.metrolink24.com

पोषण पुनर्वास केंद्रों से आ रही है बच्चों के चेहरे पर मुस्कान

1 min read

गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का हो रहा है सफल उपचार

रायपुर, 18 सितंबर 2024/बच्चों में कुपोषण एक अत्यंत ही गंभीर स्थिति मानी जाती है। इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है तथा इसके कारण शिशु मृत्यु दर भी बढ़ने का भी खतरा रहता है। ऐसे में राज्य शासन द्वारा जिला बलौदाबाजार भाटापारा में पोषण पुनर्वास केंद्रों का सफलतापूर्वक संचालन करते हुए गंभीर रूप से कुपोषण से पीड़ित बच्चों को इससे निकालने हेतु सफल प्रयास किया जा रहा है। जिला अस्पताल बलौदाबाजार के पोषण पुनर्वास केन्द्र से ठीक हुई पलारी विकासखंड के ग्राम कोनारी की 6 माह की बच्ची की माता हेमिन बाई ध्रुव के अनुसार उनकी बच्ची का वजन 3 किग्रा था जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कर पोषण आहार दिया गया। पोषण आहार देने के पश्चात उसका वजन 6 किग्रा हो गया, अब बच्ची पूरी तरह ठीक है। ऐसे ही पलारी विकासखंड अंतर्गत ग्राम चरौदा की 2 साल की गंभीर कुपोषित बच्ची का वजन मात्र 4 किलो 400 ग्राम था, जिसे अस्पताल में भर्ती कर पोषण आहार दिया जा रहा है। बच्ची की मां सरिता ध्रुव के अनुसार अस्पताल में उन्हें बेहतर उपचार तथा पोषण आहार समय पर मिल रहा है।

बलौदाबाजार में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसडोल तथा पलारी में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र एक सुविधा आधारित इकाई है जहां 5 वर्ष से कम एवं गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को पोषण सुविधा प्रदान की जाती है साथ ही बच्चे के पालकों को आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है जिससे वह घर पर भी अपने बच्चों को कुपोषण से दूर करने का प्रयास कर सकें। जनवरी 2024 से अब तक जिला अस्पताल में 94,पलारी में 135 तथा कसडोल में 141 बच्चे भर्ती किये जा चुके हैं।

चिकित्सकों के अनुसार बच्चों में कुपोषण मुख्यतः दो प्रकार का पाया जाता है पहला सूखा रोग जिसमें शरीर की मांसपेशियां बहुत कमजोर हो जाती हैं, तथा वजन में कमी आ जाती है। शरीर दुबला पतला हो जाता है ,हड्डियां दिखाई देने लगती हैं। उम्र के अनुपात में शारीरिक वजन में कमी आ जाती है। कुपोषण का दूसरा प्रकार क्वाशियोरकर है जिसकी शुरुआत अपर्याप्त व असंतुलित भोजन से होती है इसमें हाथ पैर व पूरे शरीर में सूजन,बालों का रंग फीका हो जाना तथा आसानी से उखड़ जाते हैं,विटामिन ए की कमी के लक्षण जैसे आंखों में धुंधलापन,तेज रोशनी में नहीं देख पाना इत्यादि प्रकट हो जाते हैं।

पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती हेतु बच्चों में कुपोषण की पहचान मुख्यतः आंगनबाड़ी केंद्रों में की जाती है इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में भी इसके लिए व्यवस्था की गई है। क्योंकि कुपोषित बच्चों में संक्रमण की संभावना अधिक होती है इस कारण वे बार-बार बीमार पड़ते हैं और उनके ठीक होने में लंबा समय लगता है। पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती हेतु बच्चों के लिए कुछ मापदंड निर्धारित किए गए हैं। इसके अंतर्गत यदि 6 माह से कम उम्र का शिशु अत्यंत कमजोर हो,वह प्रभावी ढंग से दूध पी नहीं पा रहा हो या 45 सेंटीमीटर से ज्यादा लंबाई के बच्चे का वजन लंबाई अनुसार ना हो, गंभीर सूखापन दिखाई दे या फिर दोनों पैरों में सूजन हो जबकि 6 माह से लेकर 60 माह तक के बच्चों के लिए ऊंचाई के अनुसार वजन, ऊपरी बांह के मध्य भाग की गोलाई 11.5 सेंटीमीटर से कम हो अथवा दोनों पैरों में सूजन हो यह मापदंड निश्चित किये गए हैं। ऐसी स्थिति के बच्चों को तुरंत पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती की आवश्यकता होती है। हर पोषण पुनर्वास केंद्र में डाइट चार्ट के आधार पर बच्चों को आहार दिया जाता है। यह डाइट चार्ट सप्ताह के 7 दिनों के लिए अलग-अलग प्रकार से बनाया गया है ताकि भोजन में नवीनता और रुचि बनी रहे। पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने की दशा में बच्चे के साथ अटेंडर के रूप में आए उसके एक परिजन को भी भोजन तथा 15 दिन तक 150 रूपये प्रतिदिन के आधार पर सहायता राशि दी जाती है।

कलेक्टर दीपक सोनी ने महिला बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग को गंभीर कुपोषित बच्चों की त्वरित पहचान कर उन्हें इन केंद्रों में सतत रूप से भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पालकों से भी अपील की है कि अपने कुपोषित बच्चों को शासन की इस सुविधा का लाभ लेकर कुपोषण मुक्त करें ताकि बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.