मोदी की पुस्तक मोदी @20 की तुलना गीता से करना हिन्दू धर्म का अपमान -कांग्रेस
1 min readमोदी की पुस्तक इतनी प्रभावी तो अमित शाह को प्रचार क्यों करना पड़ रहा ?
देश भर के हवाई अड्डो, रेलवे स्टेशनों में लाइब्रेरियों में रखने जबरिया खरीदवाया जा रहा
रायपुर/26 अगस्त 2022। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किताब की तुलना गीता से किये जाने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मोदी के द्वारा लिखित पुस्तक को हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र ग्रन्थ गीता से तुलना करने की धृष्टता किया है। यह पवित्र गीता का अपमान है। गीता पावन धर्म ग्रन्थ के साथ सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। दुनिया भर के अन्यान्य धर्मावलम्बी भी गीता के उपदेशों श्लोकों को महान मानते हैं। गीता स्वयं भगवान श्री कृष्ण के मुखार बिंदु से निकली पावन कृति है इसके समक्ष क्या इसका सहस्रांश भी कुछ नही हो सकता। भाजपा बताएं वह मंत्री गजेंद्र शेखावत की बात से कितना इत्तफाक रखती है। यदि असहमत है तो खंडन क्यो नहीं किया? शेखावत पर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं की गयी? भाजपा अपने नेता की धृष्टता से देश की जनता से माफी मांगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की किताब मोदी @20 इतनी प्रभावशाली है कि लोग इसको हाथों हाथ लेंगे तब भाजपा इसका इतना प्रचार क्यों कर रही? स्वयं देश के गृहमंत्री अमित शाह घूम-घूम कर किताब के बारे में बता रहे। लोगों को खरीदने कह रहे। देश भर के केंद्रीय संस्थानों, रेलवे, हवाई अड्डो, रेलवे स्टेशनों के रिटायरिंग रूम में लाइब्रेरियों में किताब जबरिया खरीदवा कर रखवाई जा रही। भाजपा ने सभी प्रदेशों और जिलों में मोदी की किताब के प्रचार के लिए कमेटी बनाई है। बड़ी बात नहीं कि इसको बेस्ट सेलर का स्वम्भू खिताब भाजपाई दे डाले। इसके पहले भी भाजपा और संघ के अनेकों नेताओ ने किताब लिखा है गुरुगोवलकर, दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी बाजपेई जैसे नेताओं ने अनेक किताबे लिखा है। जिनमें से कुछ रचनायें कालजयी रही है। वैचारिक रूप से कांग्रेस से भले मतभिन्नता रही हो लेकिन एक लेखक विचारक के रूप में अटल बिहारी बाजपेई की अनेक कृतियां उल्लेखनीय है। भाजपा ने उनके प्रचार के लिए कभी कोई कमेटी नहीं बनाया। मोदी की किताब के प्रचार के लिए इतना प्रोपोगंडा क्यों? एक कहावत है कुछ जन्म से महान होते है कुछ कर्म से कुछ पर महानता थोपी जाती है वही स्थिति मोदी की किताब के साथ भी है।