November 16, 2024

MetroLink24

www.metrolink24.com

राज्य में अब तक लम्पी स्कीन रोग का एक भी मामला नही

1 min read

पशु चिकित्सा विभाग का अमला पशुपालकों को संक्रमण के रोकथाम के बता रहा उपाय

अन्य राज्यों से पशुओं के आवागमन पर रोक लगाने चेक पोस्ट पर रखी जा रही है निगरानी

वेक्टर नियंत्रण एवं रिंग वैक्सीनेशन कराने के निर्देश

रायपुर, 20 सितम्बर 2022/ राज्य में पशुओं के लंपी स्किन रोग का अभी तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है। लंपी स्किन रोग की आशंका को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग का मैदानी अमला बीते एक महीने से अलर्ट मोड में है और वह गांवों का निरन्तर भ्रमण कर पशुओं को लम्पी रोग से बचाव के उपाय पशु पालकों बता रहा है।

पशुओं में लम्पी स्कीन रोग का मामला देश के राजस्थान, गुजरात सहित अन्य राज्यों में प्रकाश में आते ही छत्तीसगढ़ में पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं ने अगस्त माह पहले सप्ताह में ही गाईड लाईन जारी कर विशेष सावधानी बरतने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए थे।
छत्तीसगढ़ राज्य के 18 जिलों की सीमाए अन्य राज्यों से जुड़ी हुई है,जहां से बीमार पशुओं के आवागमन की संभावना को देखते हुए सीमावर्ती ग्रामों में पर चेक पोस्ट लगाकर नियमित चेकिंग में निगरानी रखी जा रही है। इन गांवों में पशु मेला को प्रतिबंधित करने के साथ ही बिचौलियों पर भी निगरानी रखी जा रही है।

गौरतलब है कि लम्पी स्कीन डिसिज गौवंशीय एवं भैसवंशीय पशुओं में फैलने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है। इस रोग का मुख्य वाहक मच्छर, मक्खी एवं किलनी है, जिसके माध्यम से स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है।रोगग्रस्त पशुओं में 02 से 03 दिन तक मध्यम बुखार का लक्षण मिलता है. इसके बाद प्रभावित पशुओं की चमडी मे गोल-गोल गांठें उभर आती है। लगातार बुखार होने के कारण पशुओं के खुराक पर विपरित प्रभाव पड़ता है, जिसके वजह से दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन एवं भारसाधक पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है। रोगग्रस्त पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ हो जाते है. परंतु शारिरिक दुर्बलता के कारण दुग्ध उत्पादन कई सप्ताह तक प्रभावित होता है। इस रोग से 10 से 20 प्रतिशत पशु प्रभावित होते हैं. जिसमे से 01 से 05 प्रतिशत तक के पशुओं की मृत्यु संभावित है।

वर्तमान में प्रदेश मे इस रोग के लक्षण नहीं पाये गये है। एहतियात के तौर पर जिलों मे पशु हाट-बाजारों का आयोजन पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के ग्रामों में अस्थायी रूप में चेकपोस्ट बनाया गया है, ताकि पड़ोसी राज्यों से प्रवेश करने वाले पशुओं को रोका जा सके।सीमावर्ती ग्रामों मे पशुओं को इस रोग के सक्रमण से बचाने हेतु गोट-पास्क वैक्सीन द्वारा प्रतिबंधात्मक टीकाकरण किया जा रहा है।

इस रोग से पशुओं के रोगग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु पर्याप्त मात्रा मे औषधियों की व्यवस्था क्षेत्रीय संस्थाओं मे की गई है। इसके अतिरिक्त विषम परिस्थिति से निपटने के लिये जिलों में पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है. ताकि टीकादव्य समय पर क्रय कर अन्य ग्रामों के पशुओं मे प्रतिबंधात्मक टीकाकरण का कार्य तेजी से किया जा सके।
पशुओं के आवास में जीवाणु नाशक दवा का छिड़काव एवं पशुओं में जू- कॉलनीनाशक दवा का छिड़काव हेतु सलाह दी गई है ताकि इस रोग पर नियंत्रण रखा जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.