मुख्यमंत्री 21 सितंबर को गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 7 करोड़ 4 लाख रूपए का करेंगे भुगतान
1 min readगोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 335.36 करोड़ का हो चुका है भुगतान
गोबर से वर्मी कम्पोस्ट और गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र और जीवामृत बना रहे महिला समूह
महिला समूहों को हो चुकी 81.84 करोड़ रूपए की आय
गौठानों में अब तक 35,346 लीटर गौमूत्र की खरीदी
8000 लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवामृत के विक्रय से 3.85 लाख की आय
रायपुर, 20 सितंबर 2022/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 21 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 7 करोड़ 4 लाख रूपए की राशि ऑनलाइन जारी करेंगे, जिसमें 1 सितंबर से 15 सितंबर तक गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किए गए 2.03 लाख क्विंटल गोबर के एवज में 4.06 करोड़ रूपए भुगतान, गौठान समितियों को 1.77 करोड़ और महिला समूहों को 1.21 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल हैं। गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में अब तक हितग्राहियों को 335 करोड़ 36 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है, जिसमें 18 करोड़ रूपए की बोनस राशि भी शामिल है। 5 सितंबर को 7.04 करोड़ के भुगतान के बाद यह आंकड़ा 352 करोड़ 40 लाख रूपए हो जाएगा।
गोधन न्याय योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर तथा 4 रूपए लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। गौठानों में 31 अगस्त तक खरीदे गए 79.12 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीणों को 160.94 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। 21 सितंबर को गोबर विक्रेताओं को 4.06 करोड़ रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 165 करोड़ रूपए हो जाएगा। गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 156.42 करोड़ रूपए राशि की भुगतान किया जा चुका है। गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूह को 21 सितंबर को 2.98 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 159.41 करोड़ रूपए हो जाएगा। स्वावलंबी गौठानों द्वारा अब तक 19.12 करोड़ रूपए का गोबर स्वयं की राशि से क्रय किया गया है। राज्य के 81 गौठानों में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। अब तक गौठानों में 35 हजार 346 लीटर क्रय किए गए गौमूत्र से 16,500 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवामृत तैयार किया गया है, जिसमें से 8400 लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवमृत की बिक्री से 3.85 लाख रूपए की आय हुई है।
गौठानों में महिला समूहों द्वारा 17.80 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 5.30 लाख क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 81.84 करोड़ रूपए की आय हो चुकी हैं। राज्य में गौठानों से 11,187 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 83,874 है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है।
राज्य में गोधन के संरक्षण और संर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,624 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8408 गौठान निर्मित एवं 1758 गौठान निर्माणाधीन है। गोधन न्याय योजना से 2 लाख 78 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 46 प्रतिशत महिलाएं है।