हृदय के अंदर फंसा कीमो पोर्ट, एसीआई के डॉ. स्मित श्रीवास्तव एवं टीम ने सफलतापूर्वक निकाला
1 min readरायपुर. 21 सितंबर 2022। बुधवार को डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव एवं टीम ने हार्ट के अंदर फंसे हुए कीमो पोर्ट को इमरजेंसी प्रोसीजर के जरिये सफलतापूर्वक निकालकर मरीज की जान बचायी।
प्रो. डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार, पेट के कैंसर का इलाज करा रही जशपुर निवासी एक 27 वर्षीय युवती के शरीर में कीमोथेरेपी देने के लिए लगाए जाने वाले कीमो पोर्ट का हृदय के अंदर चला जाना जानलेवा साबित हो जाता यदि समय पर युवती अपने परिजनों के साथ एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग में नहीं पहुंचती।
यहां पर कैथ लैब के माध्यम से इमरजेंसी प्रोसीजर करके कीमो पोर्ट को सफलतापूर्वक निकाला गया। मरीज अभी एसीआई के कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती है।
इस केस के संदर्भ में आगे की जानकारी देते हुए डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज को पेट के कैंसर की दवाई देने के लिए उसे कीमो पोर्ट पर रखा था। कीमो पोर्ट एक पाइप जैसा रहता है जिससे कैंसर की दवाई दी जाती है। पोर्ट को छोटी सर्जरी के जरिए ऊपरी छाती या बांह में त्वचा के नीचे डाला जाता हैै। कीमोथेरेपी की दो साइकिल के बाद निकल कर वह पोर्ट हार्ट के अंदर चला गया।
लैसो विधि से पकड़ में आया पोर्ट
कीमो पोर्ट को निकालना कितना चुनौती भरा रहा ? इस संदर्भ में डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि अमेरिका जैसे देशों में मवेशियों को पकड़ने के लिए एक विशेष रस्सी जिसे लासो या लैसो कहते हैं, का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें रस्सी के एक छोर को फंदानुमा बना लेते हैं।
मवेशी को पकड़ने के लिए रस्सी के फंदे वाले हिस्से को गोल-गोल घुमाकर तेजी से मवेशी की ओर फेंका जाता है। मवेशी का सिर उस फंदे में फंस जाता है। हमने भी कीमो पोर्ट को निकालने के लिए बहुत हद तक इसी विधि को अपनाया। सबसे पहले पैर की नस के जरिये एक पाइप को लेकर गये। पाइप के जरिए वायर को दाहिने एट्रियम तक लेकर गये।
वायर को एक लूप (फंदे) की तरह बनाया। फिर उस फंदे के जरिए कीमोपोर्ट को फंसाने की कोशिश की। कई कोशिशों के बाद जैसे ही वायर ने पोर्ट को पकड़ लिया, पैर के जरिए उसे खींच कर निकाल लिया गया।
बयां कर पाना मुश्किल
बिलासपुर में एक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही युवती के अनुसार, पेट में कैंसर बीमारी का पता चला तो रायपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज कराना प्रारंभ किया। वहां कीमोथेरेपी के लिए कीमो पोर्ट इन्सर्शन किया गया। इसके जरिए कीमोथेरेपी के दो साइकिल सफलतापूर्वक हो गये। तीसरे में जैसे ही दवा इंजेक्ट किया तो उस स्थान पर सूजन हो गया।
उसके बाद डॉक्टरों ने चेस्ट एक्स रे कराया जिससे पता चला कि पोर्ट, हृदय के अंदर चला गया है। वहां के डॉक्टरों ने अम्बेडकर अस्पताल भेजा जहां पर एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभाग में इमरजेंसी प्रोसीजर के जरिए सफल उपचार मिला। इतनी तत्परता से जो इलाज मिला उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती।