शारदीय नवरात्रि 2022 में प्रथम दिवस में ही बनेगा विशिष्ट ग्रह योग : डॉ.विश्वरंजन मिश्र
1 min read रायपुर, हमारे भारतीय समाज में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है प्रत्येक वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं। इसमें दो गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि शामिल हैं। इनमें से शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है और जिसे बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं। इस वर्ष इनकी शुरुआत 26 सितंबर से होगी और 5 अक्टूबर को समाप्त होगी। जितना महत्व नवरात्रि का होता है उतना ही मां दुर्गा के उस वाहन का होता है जिस पर वह सवार होकर आती है। इस बार प्रख्यात ज्योतिषी और भविष्यवक्ता डॉ. विश्वरंजन मिश्र से शारदीय नवरात्री के आने वाले पावन पर्व पर पड़ने वाले विशेष योगों तथा मानव जीवन पर फल व प्रभावों के विषय में जानेंगे।*हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा* प्रख्यात ज्योतिष डॉ. विश्वरंजन मिश्र के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी बेहद ही महत्वपूर्ण होगी। उनकी सवारी से शुभ व अशुभ का अंदाजा लगाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा का वाहन हाथी होगा। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिष शास्त्र एवं दुर्गा सप्तशती के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि सोमवार से प्रारम्भ हो रहा है और यदि नवरात्रि सोमवार से शुरू हों तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन का विशेष महत्व है। हर वर्ष नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है। जिससे भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत मिलता है।
देवीभागवत पुराण के एक श्लोक के अनुसार –
*शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।**गुरौ शुक्रे च डोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता।* *गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे।* *नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्।*सोमवार को नवरात्रि प्रारंभ होने के कारण माता का वाहन इस बार हाथी होगा। माता जब हाथी पर सवार होकर आती है जो अधिक जल की वृष्टि कराने वाला संकेत है। लेकिन माँ के भक्तों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि माँ अपने भक्तों के साथ कभी बुरा नहीं होने देती। माँ दुर्गा के भक्त ज्यादा से ज्यादा माँ के नाम का जप करे। दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए, माँ दुर्गा आपके जीवन में खुशहाली भर देगी और आपके जीवन में होने वाले हर अनिष्ट को दूर कर देगी। नवरात्रि अगर रविवार या सोमवार को शुरू हो तो माता हाथी पर सवार होकर आती है जो अधिक जल की वृष्टि कराने वाला संकेत है।
शनिवार और मंगलवार को अगर नवरात्रि शुरू हो तो घोड़े पर सवार होकर आती है जो कि पड़ोसी से युद्ध ,गृह युद्ध ,आंधी तूफान और राजनीतिक उथल-पुथल का संकेत है।
गुरुवार और शुक्रवार के दिन नवरात्रि शुरू हो तो माँ डोली में सवार होकर आती है जो जनधन की हानि रक्तपात होना बताता है।
बुधवार को नवरात्रि शुरू हो तो माता नाव पर सवार होकर आती है और भक्तों को सिद्धि देती है। मां दुर्गा की सवारी शुभ या अशुभ हर बार मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। मां दुर्गा की सवारी घोड़ा, भैंस, डोली, मनुष्य, नांव या हाथी होते हैं। ये सभी वाहन शुभ व अशुभ का संकेत देते हैं। नांव व हाथी पर सवार होकर आना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि अगर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वह अपने साथ सुख-समृद्धि और खुशियां लेकर आती हैं. शारदीय नवरात्रि के पहले दिवस ही अद्भुत संयोग बन रहा है।*इस संयोग का क्या असर होगा चलिए जानें* मां शक्ति का धरती पर आगमन कुछ विशेष संयोग बना रहा है। पहले दिन से ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि शुरू होती है। नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही शुभ संयोग प्रारंभ हो जाएगा। विशिष्ट संयोग के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है।
*कब से है प्रारम्भ शारदीय नवरात्री : जाने मुहूर्त* शारदीय नवरात्रि इस बार 26 सितंबर से शुरू हो रही है. 5 अक्टूबर को देवी वापस धरती से स्वर्ग काे लौट जाएंगी। यहाँ पुनः बता दें कि साल में कुल चार नवरात्रि आती हैं। जिसमें से दो गुप्त और दो सामान्य नवरात्रि होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शक्ति की उपासना के लिए सभी 4 नवरात्रि खास होती है.
*शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त*
अश्विन प्रतिपदा तिथि आरंभ- 26 सितंबर 2022, 03.23 प्रातः
अश्विन प्रतिपदा तिथि समापन – 27 सितम्बर 2022, 03.08 प्रातः घटस्थापना सुबह का मुहूर्त –
06.17 प्रातः – 07.55 प्रातः (26 सितंबर 2022)अवधि – 1 घण्टा 38 मिनट घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – 11:54 प्रातः – 12:42 प्रातः ((26 सितंबर 2022)अवधि – 48 मिनट*नवरात्रि पर बन रहे हैं शुक्ल और ब्रह्म योग* ज्योतिष डॉ. मिश्र के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन यानी 26 सितंबर को शुक्ल योग सुबह 8 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ब्रह्म योग शुरू हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार, शुक्ल व ब्रह्म योग में पूजा करना शुभ और फलदायी होता है। देवी की पूजा और उपवास से असाध्य मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।शारदीय नवरात्रि को धर्म की अधर्म और सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक माना जाता है। मां दुर्गा के हर स्वरूप की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता रानी अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती हैं।