December 24, 2024

MetroLink24

www.metrolink24.com

राज्य में अब तक लम्पी स्कीन रोग का कोई भी मामला नही

1 min read

पशु टीकाकरण का कार्य अनवरत रूप से जारी

अब तक 3.67 लाख पशुओं को लगाया जा चुका है टीका

लंपी रोग संक्रमण रोकने पशुपालकों को बताए जा रहे है उपाय

अन्य राज्यों से पशु आवागमन रोकने 85 सीमावर्ती गॉवों में अस्थायी चेक पोस्ट बनाकर निगरानी

रायपुर, 28 सितम्बर 2022/ राज्य में पशु लंपी स्किन रोग का अब तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है।इसकी आशंका को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग का मैदानी अमला अलर्ट मोड में है और निरंतर गांवों का भ्रमण कर पशुओं को लम्पी रोग से बचाव के जानकारी दे रहा है।
राज्य में पशु टीकाकरण का कार्य अनवरत रूप से जारी है। एलएसडी प्रभारी डॉ शर्तिया ने बताया कि राज्य में 8.20 लाख पशु टीकाकरण के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 3.67 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।

देश के कई राज्यों में पशुओं में लम्पी स्कीन रोग का मामला आते ही छत्तीसगढ़ में पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए एहतियात के तौर पर आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश जारी किए गए थे। छत्तीसगढ़ के 18 जिलों की सीमाए अन्य राज्यों से जुड़ी हुई है,जहां से बीमार पशुओं के आवागमन पर रोक लगाने लिए 85 सीमावर्ती ग्रामों में चेक पोस्ट स्थापित कर निगरानी रखी जा रही है। इन गांवों में पशु मेला को प्रतिबंधित करने के साथ ही बिचौलियों पर भी निगाह रखी जा रही है।

गौरतलब है कि लम्पी स्कीन डिसिज गौवंशीय एवं भैसवंशीय पशुओं में फैलने वाला विषाणुजनित संक्रामक रोग है। इस रोग का मुख्य वाहक मच्छर, मक्खी एवं किलनी है, जिसके माध्यम से स्वस्थ पशुओं में यह संक्रमण फैलता है। रोगग्रस्त पशुओं में 02 से 03 दिन तक मध्यम बुखार का लक्षण मिलता है। इसके बाद प्रभावित पशुओं की चमडी मे गोल-गोल गांठें उभर आती है। लगातार बुखार होने के कारण पशुओं के खुराक पर विपरित प्रभाव पड़ता है, जिसके वजह से दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन एवं भारसाधक पशुओं की कार्यक्षमता कम हो जाती है। रोगग्रस्त पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ हो जाते है. परंतु शारिरिक दुर्बलता के कारण दुग्ध उत्पादन कई सप्ताह तक प्रभावित होता है।

प्रदेश मे अब तक इस रोग का कोई मामला सामने नही आया है। एहतियात के तौर पर जिलों मे पशु हाट-बाजारों के आयोजन पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई है।सीमावर्ती ग्रामों मे पशुओं को इस रोग के सक्रमण से बचाने हेतु गोट-पास्क वैक्सीन द्वारा प्रतिबंधात्मक टीकाकरण किया जा रहा है।

इस रोग से पशुओं के रोगग्रस्त होने की स्थिति में तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु पर्याप्त मात्रा मे औषधियों की व्यवस्था क्षेत्रीय संस्थाओं मे की गई है। इसके अतिरिक्त विषम परिस्थिति से निपटने के लिये जिलों में पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है,ताकि टीकाद्रव्य समय पर क्रय कर अन्य ग्रामों के पशुओं मे प्रतिबंधात्मक टीकाकरण का कार्य तेजी से किया जा सके।
पशुओं के आवास में जीवाणु नाशक दवा का छिड़काव एवं पशुओं में जू- कॉलनीनाशक दवा का छिड़काव की सलाह पशुपालकों को दी गई है, ताकि इस रोग पर नियंत्रण रखा जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.